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अनुदान के आधार पर नर बकरा प्रदाय योजना का लाभ उठाएं ...

  मध्‍यप्रदेश की सरकार के द्वारा देशी/स्‍थानीय बकरियों की नस्‍ल में सुधार करने के लिए नर बकरा प्रदाय योजना चलाई जा रही है। इस योजना के अंतर्गत सभी वर्ग के बकरी पालक को उन्‍नत नस्‍ल का एक नर बकरा अनुदान के आधार पर प्रदाय करने का प्रावधान है। यह योजना प्रदेश के सभी जिलों में चलाई जा रही है। योजना के अंतर्गत बकरी पालकों को राज्‍य सरकार के द्वारा सब्सिडी प्रदान की जाती है। मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का सभी बकरी पालकों से आग्रह है कि वह इस योजना का अधिक से अधिक लाभ उठाए एवं आत्‍मनिर्भर मध्‍यप्रदेश बनाने में अपना सहयोग करे। कोन ले सकता है योजना का लाभ- ऐसे हितग्राही जिनके पास कम से कम 5 बकरियां हो, वह इस योजना का लाभ ले सकता है। यह योजना सभी वर्गों के लिए चलाई जा रही है। नर बकरा प्रदाय योजना के तहत जमनापारी, बारबरी एवं सिरोही बकरा प्रदान किया जाएगा।  योजना की लागत- बकरी पालकों को 8300 रूपये कीमत का बकरा प्रदान किया जाएगा। जिसमें बकरे का मूल्‍य 7500, बीमा राशि 2.75 प्रतिशत एक वर्ष के लिए 206 रूपये, मिनरल मिक्‍सचर 394 रूपये एवं प्रशिक्षण बुकलेट व मॉनीटरिंग कार्ड के लिए 200 रूपये देना होगा।

गौ-वंश के चारे के लिए मुख्‍यमंत्री ने दिये 132 करोड़...

मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने प्रदेश के निराश्रित और भटके हुए गौ-वंश के चारा, भूसा और पशु आहार (सुदाना) के लिये इस वर्ष 132 करोड़ 71 लाख रूपये पंजीकृत शासकीय और अशासकीय गौ-शालाओं को अनुदान के रूप में वितरित किये गये हैं। उन्होंने बताया कि इसमें से गत दिवस अंतिम किश्त 66 करोड़ रूपये की राशि सभी जिलों के गौ-पालन एवं पशुधन समितियों के बैंक खातों में RTGS के जरिए ट्रांसफर कर दी गई है। जिला समितियों को निर्देशित किया गया है कि गौ-संवर्द्धन बोर्ड द्वारा पंजीकृत सभी शासकीय और अशासकीय गौ-शालाओं को यथाशीघ्र राशि वितरित कर दें। प्रदेश में 1665 पंजीबद्ध गौ-शालाएँ क्रियाशील हैं। इनमें 2 लाख 87 हजार गौ-वंश है। उल्‍लेखनीय है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में दिसम्बर 2022 में लिये गये निर्णय के परिपेक्ष्य में प्रदेश के जिन गाँवों में ग्राम पंचायत स्तर पर नवीन गौ-शालाएँ बन कर तैयार हो गई हैं, उनमें बेसहारा गौ-वंश को रखा जाकर देखभाल की जाएगी। चारा भूसा की अतिरिक्त अनुदान राशि से गौ-शालाओं का संचालन किया जाएगा। इसके लिये स्थानीय निकाय एवं आम नागरिकों का सहयोग भी लिया जाएगा। इससे किसानो

मध्यप्रदेश की स्टार्ट अप नी‍ति

  मध्यप्रदेश की स्टार्ट अप नी‍ति मध्यप्रदेश का स्टार्ट-अप ईकोसिस्टम विभिन्न क्षेत्र के स्टार्ट-अप के वर्गीकरण के साथ विकसित हुआ है। राज्य सरकार ने इसके लिये एक स्वतंत्र निकाय का गठन किया है। नई नीति में स्टार्ट-अप के लिए कई प्रक्रियाओं को सरल और आसान बनाया गया है। सार्वजनिक खरीद को आसान बनाने से लेकर नई स्टार्ट अप नीति में इनक्यूबेटरों को ज्यादा समर्थन की पेशकश की गई है। नई नीति एक मजबूत वित्त पोषण तंत्र का विकास भी करती है। साथ ही ग्रामीण नवाचार को संगठित करने के लिए दूर-दराज के क्षेत्रों में भी स्टार्ट अप के प्रति अधिकतम जागरूकता और पहुँच पैदा करती है। प्रदेश की नीति के प्रमुख तत्वों में से एक प्रदेश के स्टार्टअप सेंटर की स्थापना है। यह सेंटर राज्य के    स्टार्ट-अप को सुविधाएँ और जरूरी सहायता देगा।   सेंटर राज्य में स्टार्ट-अप तंत्र को बढ़ावा देने ,  उन्हें मजबूत करने और सुविधा देने के लिए एक समर्पित एजेंसी के रूप में काम करेगा।    मध्यप्रदेश   की स्टार्ट अप नीति  2022  की अनेक विशेषताएँ हैं ,  जो इसे देश में अलग पहचान देती है। संस्थागत रूप से विषय - विशेषज्ञों के साथ मध्य प्रदेश स्ट

सामाजिक न्याय विभाग का नया पता यहां देखें...

  सामाजिक न्याय एवं निःशक्तजन कल्याण संचालनालय का कार्यालय नव-निर्मित भवन में स्थानंतरित हो गया है। नव वर्ष से सभी विभागीय कार्यों का संचालन पत्रकार कॉलोनी, स्थित नवीन भवन से ही होगा।  आयुक्त सामाजिक न्याय एवं नि:शक्तजन कल्याण डॉ. ई. रमेश कुमार ने बताया कि अब संचालनालय से संपर्क एवं पत्राचार के लिए नया पता सामाजिक न्याय एवं निःशक्तजन कल्याण संचालनालय मध्यप्रदेश, पत्रकार कॉलोनी, लिंक रोड नम्बर-3, भोपाल होगा।  संचालनालय का फोन नबंर 0755-2556916 और ईमेल- dir.socialjustice@mp.gov.in है।

सीमावर्ती जिलों में लंपी के विरूद्ध विशेष सतर्कता बरतने के निर्देश

  भोपाल : गुरूवार, सितम्बर 8, 2022,  पशुपालन, डेयरी, सामाजिक न्‍याय एवं नि:शक्‍तजन कल्‍याण मंत्री श्री प्रेमसिंह पटेल ने  राजस्थान एवं गुजरात के सीमावर्ती जिलों अलीराजपुर, झाबुआ, रतलाम, मंदसौर, नीमच, राजगढ़ और बुरहानपुर के उप संचालकों को गौ-भैंस वंशीय पशुओं में लंपी स्किन डिसीज से निपटने के लिये विशेष रूप से सतर्क रहने के निर्देश दिये हैं। उन्होंने सीमावर्ती क्षेत्र की पशु चिकित्सा संस्थाओं, मुख्य ग्राम इकाई, पशु माता महामारी आदि में पदस्थ पशु चिकित्सा सहायक शल्यज्ञ और सहायक पशु चिकित्सा क्षेत्र अधिकारियों द्वारा प्रति दिन अपने क्षेत्र का दौरा कर सतत निगरानी रखने के निर्देश दिये है। साथ ही निरन्तर उपचार एवं टीकाकरण भी के कार्य को भी जारी रखने को कहा है। उन्‍होंने कहा कि  मध्यप्रदेश के रतलाम, उज्जैन, मंदसौर और खंडवा जिले के पशुओं में लंपी रोग की पुष्टि होने के साथ इंदौर, धार, बुरहानपुर, नीमच और बैतूल जिले में भी लक्षण पाये गये हैं। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए गत माह राज्य पशु रोग अन्वेषण प्रयोगशाला भोपाल में कंट्रोल रूप की स्थापना की गई है। सुबह 10 से शाम बजे तक संचालित कंट्रोल रूम का